आज है राष्ट्रीय एकता दिवस: 20 अक्टूबर 1962 के भारत-चीन युद्ध और उत्तराखंड की भूमिका

20 अक्टूबर 1962 को भारत-चीन युद्ध की शुरुआत हुई, जिसने देश की रक्षा नीति को बदला और उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्य की भूमिका को उजागर किया। जानिए इस युद्ध के प्रभाव और राष्ट्रीय एकता दिवस की प्रासंगिकता।

Today is National Solidarity Day: Remembering the 1962 Indo-China War of October 20 and Uttarakhand's Role

20 अक्टूबर 1962 का दिन भारत के इतिहास में एक बड़ा दिन था। इस दिन चीन ने अचानक भारत पर हमला किया, जिससे भारत और चीन के बीच युद्ध शुरू हुआ। यह युद्ध भारत के लिए बहुत कठिन समय था, लेकिन इसने देश को एकजुट कर दिया। उत्तराखंड, जो चीन की सीमा के पास है, ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस घटना की याद में आज राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है, जो हमारी एकता और साहस का प्रतीक है।

1962 का भारत-चीन युद्ध

भारत और चीन के बीच एक लंबे समय से सीमा विवाद था। चीन अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को अपना मानता था, लेकिन भारत इन क्षेत्रों को अपना हिस्सा कहता था। 20 अक्टूबर 1962 को चीन ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत पर हमला किया। भारतीय सेना ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन तैयारी की कमी और संसाधनों की कमी के कारण भारत को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

उत्तराखंड की भूमिका

उत्तराखंड, जो चीन की सीमा के पास है, इस युद्ध में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया। इस राज्य ने कई तरीकों से इस युद्ध में अपनी भूमिका निभाई:

  1. सीमा की सुरक्षा: उत्तराखंड के नेलांग घाटी और माना पास जैसे स्थान भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे। इन क्षेत्रों में भारतीय सेना तैनात थी ताकि चीन के हमले से बचा जा सके।

  2. स्थानीय सैनिकों का योगदान: उत्तराखंड के कई सैनिक इस युद्ध में लड़े। पिथौरागढ़, चमोली, और उत्तर्काशी के सैनिकों ने अपनी बहादुरी दिखाई और देश की रक्षा के लिए लड़ते हुए कई सैनिक शहीद हुए।

  3. युद्ध के बाद की तैयारी: युद्ध के बाद, उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई। नई सड़कों, संचार सुविधाओं और चौकियों का निर्माण किया गया ताकि भविष्य में कोई भी खतरा टाला जा सके।

राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व

20 अक्टूबर को हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब भी देश पर कोई संकट आता है, हमें एकजुट होकर उसका सामना करना चाहिए। 1962 के युद्ध ने हमें सिखाया कि देश की सुरक्षा और एकता को बनाए रखना कितना जरूरी है।

निष्कर्ष

20 अक्टूबर 1962 का दिन भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय था, लेकिन इसने हमें एकजुट और मजबूत बनाया। उत्तराखंड ने इस संघर्ष में अपनी अहम भूमिका निभाई, और आज हम इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं, ताकि हम हमेशा याद रखें कि एकता में ही हमारी ताकत है।

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