ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना की गौचर सुरंग का निर्माण पूरा। 2025 तक सभी सुरंगें तैयार होने की उम्मीद है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा सुगम और तीर्थस्थलों तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
मुख्य बिंदु
Toggleउत्तराखंड की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। गौचर में 2.7 किमी लंबी सुरंग का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। सुरंग निर्माण के साथ ही इंजीनियरों और श्रमिकों ने मिठाई बांटकर जश्न मनाया। यह परियोजना उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ने और यात्रा के समय को घटाकर केवल 2 घंटे करने में अहम भूमिका निभाएगी।
परियोजना का महत्व और प्रगति
125 किमी लंबी इस रेलवे लाइन में से 104 किमी हिस्सा सुरंगों के माध्यम से गुजरेगा। कुल 13 रेलवे स्टेशनों में से योगनगरी और वीरभद्र स्टेशन पहले ही तैयार हो चुके हैं।
2025 तक सभी सुरंगों का निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है और 2026 तक पूरी परियोजना के चालू होने की योजना है। इससे तीर्थयात्रा के साथ-साथ स्थानीय व्यवसाय और पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
परियोजना का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- कुल लागत: 16,200 करोड़ रुपये
- नई नौकरियां: 2,000 से अधिक
- समय की बचत: यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर 2 घंटे
यह परियोजना चार धाम यात्रा के तीर्थस्थलों—बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—की कनेक्टिविटी में भी सुधार करेगी, जिससे यात्रियों को लाभ होगा और यात्रा सुगम होगी।
स्टेशन और संरचना
इस परियोजना में 16 मुख्य और 12 सहायक सुरंगों का निर्माण हो रहा है। ये सुरंगें आपातकाल में निकासी के लिए भी उपयोगी होंगी। प्रमुख स्टेशनों में गौचर, श्रीनगर, देवप्रयाग और कर्णप्रयाग शामिल हैं।
निष्कर्ष
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना न केवल उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को गति देगी, बल्कि पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए भी जीवन को सरल बनाएगी। परियोजना के तहत माल और यात्री परिवहन को आसान बनाया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना की प्रगति पर प्रगति पोर्टल के माध्यम से नजर रखी जा रही है। जल्द ही, यह परियोजना पहाड़ी क्षेत्रों में आवागमन का नया युग शुरू करेगी, जिससे स्थानीय व्यवसायों और पर्यटन को नए अवसर मिलेंगे।
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