उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी शीतकाल के लिए बंद हो गई है। इस साल 19,436 पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया, जिनमें 330 विदेशी भी शामिल हैं। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं और घाटी हर साल जून से अक्टूबर तक खुली रहती है।
उत्तराखंड की विश्व धरोहर मानी जाने वाली फूलों की घाटी इस वर्ष के शीतकाल के लिए 31 अक्तूबर को बंद कर दी गई है। हर साल की तरह इस साल भी घाटी ने अनगिनत पर्यटकों का स्वागत किया और 1 जून से 31 अक्तूबर तक खुली रही। इस बार घाटी में 19,436 पर्यटकों ने भ्रमण किया, जिनमें 330 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे।
घाटी में पर्यटकों की अच्छी तादाद आने से पार्क प्रशासन को 39 लाख 39 हजार 250 रुपये की आय प्राप्त हुई। फूलों की घाटी की वनक्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल के अनुसार, इस साल घाटी में पर्यटकों की संख्या काफी अच्छी रही है, जिससे विभाग को राजस्व में बढ़ोत्तरी हुई है।
वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस बार घाटी में पांच ट्रैप कैमरे भी लगाए गए हैं। घाटी के बंद होने के बाद भी विभाग की टीम नियमित अंतराल पर निरीक्षण करती रहेगी ताकि घाटी की वन्य संपदा और जैव विविधता की सुरक्षा बनी रहे।
फूलों की घाटी हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और इसे जैव विविधता का अनुपम खजाना माना जाता है। यहां पर्यटक 500 से अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूलों का दीदार कर सकते हैं। घाटी में दुर्लभ और आकर्षक फूलों की प्रजातियां हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। शीतकाल में बर्फबारी के कारण यहां का रास्ता अवरुद्ध हो जाता है, इसीलिए घाटी को हर साल 31 अक्तूबर को बंद कर दिया जाता है और पर्यटकों का स्वागत फिर से अगले वर्ष जून में होता है।
फूलों की घाटी न केवल अपने रंग-बिरंगे फूलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसकी हिमालय की गोद में स्थित वादियों का प्राकृतिक सौंदर्य भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। यह घाटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है और इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। घाटी का क्षेत्र लगभग 87.5 वर्ग किमी में फैला हुआ है और यह स्थान हिमालय की अनमोल जैव विविधता का अद्वितीय उदाहरण है।
घाटी में लगाए गए ट्रैप कैमरे न केवल वन्य जीवों की सुरक्षा में सहायक हैं बल्कि घाटी में वन्य जीवन की गतिविधियों का भी निरीक्षण करने में सहायक होते हैं।
फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को 13 किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जो यहां की यात्रा को और रोमांचक बनाता है।
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