केदारनाथ उपचुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस में अंदरूनी संघर्ष बढ़ता जा रहा है। उम्मीदवारों के चयन पर विवाद के कारण दिल्ली में अहम बैठक बुलाई गई है, जहां इसका समाधान निकाले जाने की उम्मीद है।
मुख्य बिंदु
Toggleकेदारनाथ उपचुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस पार्टी में भारी अंदरूनी मतभेद उत्पन्न हो चुके हैं। मुख्य कारण यह है कि पार्टी के अंदर उम्मीदवारों के चयन को लेकर असहमति लगातार बढ़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और उपचुनाव पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल के बीच तीखा विवाद सामने आया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि दिल्ली में पार्टी आलाकमान को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट ने बढ़ाया तनाव
इस मतभेद का मुख्य बिंदु पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट है, जिसे सीधे प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को सौंपा गया, जबकि पार्टी की सामान्य प्रक्रिया में पहले रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) को सौंपी जाती है। इस बार की असामान्यता ने प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को नाराज कर दिया, क्योंकि उन्हें इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया। गणेश गोदियाल, जो इस पूरे प्रकरण के पर्यवेक्षक हैं, ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया, जिससे यह विवाद और गहराता गया।
दिल्ली में बुलाई गई निर्णायक बैठक
इस विवाद को सुलझाने और उपचुनाव के लिए उम्मीदवार के चयन के लिए कांग्रेस आलाकमान ने 24 अक्टूबर को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता, पर्यवेक्षक और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे। उम्मीद है कि इस बैठक में कांग्रेस अपने उम्मीदवार को लेकर अंतिम फैसला करेगी, जिससे पार्टी में मचे बवाल को शांत किया जा सके।
टिकट के दावेदार और कांग्रेस की चुनौती
उपचुनाव के लिए कुल 13 कांग्रेस नेताओं ने टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। इन प्रमुख दावेदारों में पूर्व विधायक मनोज रावत, जिलाध्यक्ष कुंवर सजवाण, आलोक बगबाड़ी और लक्ष्मण रावत जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इन सभी उम्मीदवारों का फीडबैक पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। दिल्ली में होने वाली बैठक में इनके नामों पर अंतिम चर्चा की जाएगी, जिसके बाद हाईकमान अंतिम निर्णय लेगा।
पार्टी की परंपरा पर सवाल
यह पहली बार है कि पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट सीधे प्रदेश प्रभारी को सौंपी है, जबकि सामान्यत: यह रिपोर्ट पहले PCC को दी जाती है। करन माहरा ने इस मुद्दे पर गहरी आपत्ति जताई है और इसे पार्टी की परंपरा के खिलाफ बताया है। दूसरी ओर, पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल का कहना है कि उन्हें नियुक्त करने वाले प्रदेश प्रभारी को ही रिपोर्ट देना आवश्यक था, और उन्होंने अपने दायित्व का पालन किया है।
कांग्रेस की एकजुटता पर मंडराते सवाल
कांग्रेस पार्टी उपचुनाव से पहले एकजुटता का दावा कर रही है, लेकिन इस विवाद ने पार्टी की आंतरिक एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वरिष्ठ नेताओं के बीच मनमुटाव से पार्टी के लिए उपचुनाव की रणनीति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। दिल्ली में होने वाली बैठक पार्टी की आंतरिक कलह को सुलझाने और चुनावी मैदान में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
निष्कर्ष
केदारनाथ उपचुनाव 2024 कांग्रेस के लिए एक चुनौतीपूर्ण अवसर बनता जा रहा है। पार्टी के भीतर बढ़ते मतभेद और उम्मीदवारों के चयन पर असहमति ने नेतृत्व को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। 24 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली बैठक से यह साफ हो सकेगा कि कांग्रेस किस दिशा में आगे बढ़ेगी और किस उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी।
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