उत्तराखंड की पर्वतारोही शीतल राज ने माउंट चो ओयू पर चढ़ाई कर इतिहास रचा। 2019 में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली शीतल अब सात सर्वोच्च शिखरों और सभी 8,000 मीटर ऊंचे शिखरों पर चढ़ाई की योजना बना रही हैं।
मुख्य बिंदु
Toggle29 साल की शीतल राज ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से अपनी यात्रा शुरू की और माउंट चो ओयू की ऊंचाइयों को छूकर इतिहास रच दिया। यह चोटी, जो दुनिया की छठी सबसे ऊंची है, को फतह करने वाली शीतल पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने 2019 में माउंट एवरेस्ट पर भी चढ़ाई की थी और माउंट कंचनजंगा तथा माउंट अन्नपूर्णा जैसी चोटियों को भी अपने सफर का हिस्सा बनाया। इस यात्रा में हैंस फाउंडेशन और एथिकल हिमालय का समर्थन अहम रहा, जबकि परिवार और दोस्तों के प्रोत्साहन ने भी उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।
कहां है माउंट चो ओयू (Mount Cho Oyu)?
माउंट चो ओयू (Mount Cho Oyu) हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है और यह दुनिया की छठी सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 8,188 मीटर (26,864 फीट) है। यह पर्वत तिब्बत और नेपाल की सीमा पर स्थित है और माउंट एवरेस्ट से लगभग 20 किलोमीटर पश्चिम में है। माउंट चो ओयू को तकनीकी रूप से सबसे आसान 8,000 मीटर से ऊंचा पर्वत माना जाता है, जिससे कई पर्वतारोही अपने करियर की शुरुआत के लिए इसे चुनते हैं।
महिलाओं के लिए प्रेरणा और अभियान
शीतल का लक्ष्य है कि महिलाएं भी पर्वतारोहण में आगे बढ़ें और अपनी क्षमताओं को साबित करें। उनकी योजना हर साल महिलाओं के लिए एक विशेष अभियान का आयोजन करने की है, ताकि वे इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पा सकें।
पर्वतारोहण में शुरुआत और प्रशिक्षण
शीतल के पर्वतारोहण का सफर नेशनल कैडेट कोर (NCC) के प्रशिक्षण से शुरू हुआ। बाद में उन्होंने दार्जिलिंग के हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से बेसिक पर्वतारोहण कोर्स और पहलगाम के जवाहर माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से एडवांस कोर्स पूरा किया। 2017 में, उन्होंने लद्दाख में तीन अनछुई चोटियों पर चढ़ाई की, जिनकी ऊंचाई क्रमशः 6,025 मीटर, 6,125 मीटर और 6,120 मीटर थी। यह अभियान उनके प्री-एवरेस्ट प्रशिक्षण का हिस्सा था, जहां उन्हें -20°C की सर्दी में अभ्यास करना पड़ा।
परिवार का सहयोग और संघर्ष
2016 में, शीतल ने अपने माता-पिता से तीन साल का समय मांगा था ताकि वह पर्वतारोहण को करियर के रूप में आगे बढ़ा सकें। शुरुआत में परिवार ने उनके फैसले का समर्थन नहीं किया, लेकिन आज उनके पिता को गर्व है कि उनकी बेटी ने अपने सपनों को पूरा किया। उनके अनुसार, गांव में शीतल के जन्म पर ज्यादा खुशी नहीं मनाई गई थी क्योंकि वह एक लड़की थीं, लेकिन अब वह पूरे परिवार के लिए गर्व का कारण बन चुकी हैं।
भविष्य की योजनाएं
शीतल अब दुनिया के सात सबसे ऊंचे शिखरों और सभी 8,000 मीटर से ऊंची 14 चोटियों पर चढ़ाई की योजना बना रही हैं। उनका उद्देश्य है कि हिमालयी राज्यों में पर्वतारोहण अभियानों से महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हों और पर्यटन को बढ़ावा मिले। वह विशेष रूप से उत्तराखंड के पर्वतों पर ध्यान केंद्रित करके राज्य में पर्यटन को प्रोत्साहन देना चाहती हैं।
आगामी अभियान और तैयारियां
अगले सप्ताह से शीतल महिलाओं का चयन और प्रशिक्षण शुरू करेंगी ताकि उन्हें आगामी अभियानों के लिए तैयार किया जा सके। उनका मानना है कि पर्वतारोहण में महिलाओं की अधिक भागीदारी से न केवल साहसिक खेलों में रुचि बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी रोजगार और विकास के अवसर मिलेंगे।
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