बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर रात 9:07 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे। मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे। यात्रा के दौरान 11 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। जानिए शीतकाल में भगवान बद्रीनारायण के दर्शन कहां होंगे और कपाट बंद होने से जुड़ी परंपराएं।
मुख्य बिंदु
Toggleदशहरे के अवसर पर बद्रीनाथ और मदमहेश्वर धाम के कपाट बंद होने की तिथियों का ऐलान किया गया। पंचांग गणना के बाद यह निर्णय बद्रीनाथ मंदिर परिसर में लिया गया। बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल 17 नवंबर रात 9:07 बजे बंद होंगे। इसी तरह, मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे।
बद्रीनाथ में शीतकाल के दौरान दर्शन का स्थान
बर्फबारी के कारण शीतकाल में बद्रीनाथ धाम बंद रहता है। इस दौरान, भगवान बद्रीनारायण के दर्शन योग-ध्यान बद्री मंदिर में होंगे, जो पंच बद्री में से एक है और चमोली जिले में समुद्र तल से 1920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना पांडवों के पिता राजा पांडु ने की थी।
चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या
इस साल, 11 लाख से अधिक तीर्थयात्री बद्रीनाथ धाम पहुंचे, जबकि 13.5 लाख से अधिक भक्त केदारनाथ में दर्शन कर चुके हैं। सरकार और मंदिर समिति ने यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाओं का प्रबंध किया, जिससे यात्रा सुगम रही।
मदमहेश्वर के कपाट बंद होने के बाद की रस्में
मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होने के बाद, भगवान की डोली 21 नवंबर को रांसी, 22 नवंबर को गिरिया, और 23 नवंबर को ऊखीमठ स्थित गद्दी स्थल पर पहुंचेगी।
कपाट बंद होने का ऐलान और परंपराएं
विजयदशमी के पावन पर्व पर हर साल बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि तय की जाती है। इस वर्ष यह कार्यक्रम 11:30 बजे आयोजित हुआ, जिसमें प्रमुख पुजारी (रावल) अमरनाथ नंबूदरी, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। पंचांग गणना के बाद, कपाट बंद होने का निर्णय लिया गया और इसकी घोषणा की गई।
भविष्य की यात्रा तैयारियां और सम्मान समारोह
अगले यात्रा सीजन के लिए भंडार और अन्य व्यवस्थाएं संभालने वाले कमदी, भंडारी और मेहता थोक के हक-हकूकधारियों को मंदिर समिति की ओर से पगड़ी भेंट कर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, 4 नवंबर को तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट भी बंद किए जाएंगे।
निष्कर्ष
बद्रीनाथ और मदमहेश्वर धाम के कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा के साथ, शीतकालीन दर्शन की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। अब भक्तजन शीतकाल में योग-ध्यान बद्री में भगवान बद्रीनारायण के दर्शन कर सकेंगे, जबकि मदमहेश्वर की पूजा डोली स्थल पर जारी रहेगी।
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