जानें कि पांचवीं अनुसूची क्या है, किन राज्यों में यह लागू है, और उत्तराखंड में इसे शामिल करने से भू-कानून, नौकरियों में आरक्षण और स्थानीय अधिकारों को कैसे बढ़ावा मिल सकता है।
मुख्य बिंदु
Toggleपांचवीं अनुसूची क्या है?
भारत के संविधान में कुछ खास प्रावधान हैं जो कमजोर और वंचित समुदायों की मदद करते हैं। पांचवीं अनुसूची ऐसे ही आदिवासी समुदायों के लिए बनाई गई है ताकि वे अपनी ज़मीन और संसाधनों पर अधिकार रख सकें और अपनी परंपराओं को बचा सकें।
पांचवीं अनुसूची के उद्देश्य क्या हैं?
- जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा – आदिवासी लोगों को उनकी ज़मीन और संसाधनों का हक़ मिलता है।
- आर्थिक और सामाजिक विकास – शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलती है।
- विशेष कानून और नियम – इन क्षेत्रों में अलग नियम लागू होते हैं, ताकि लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को सुरक्षित रख सकें।
किस-किस राज्य में पांचवीं अनुसूची लागू है?
यह अनुसूची इन राज्यों में लागू है:
- छत्तीसगढ़
- झारखंड
- मध्य प्रदेश
- ओडिशा
- राजस्थान
- गुजरात
- महाराष्ट्र
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
इन राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों को सुरक्षा और विशेष अधिकार मिलते हैं।
हल्द्वानी से उठी मांग – उत्तराखंड में पांचवीं अनुसूची लागू करो
हल्द्वानी में पहाड़ी आर्मी और एकता मंच ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उत्तराखंड को पांचवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। पहाड़ी आर्मी के संस्थापक हरीश रावत ने कहा कि दूसरे पर्वतीय राज्यों को इस सूची में शामिल करने से वहां भू-कानून और मूल निवास की समस्याएं हल हुई हैं। अगर उत्तराखंड में भी इसे लागू किया गया, तो स्थानीय लोगों को नौकरियों में आरक्षण और संसाधनों पर अधिकार मिल सकेंगे।
20 अक्टूबर को हल्द्वानी में सम्मेलन
इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हल्द्वानी में 20 अक्टूबर को एक बुद्धिजीवी सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया गया है ताकि वे इस आंदोलन को समर्थन दे सकें और इसे आगे बढ़ा सकें।
उत्तराखंड के लिए पांचवीं अनुसूची के फायदे
उत्तराखंड में पांचवीं अनुसूची लागू होने से कई बड़े फायदे होंगे:
- भू-कानून में सुधार – लोगों को अपनी ज़मीन और संसाधनों पर अधिकार मिलेगा।
- नौकरियों में आरक्षण – सरकारी और निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण का फायदा मिलेगा।
- संस्कृति और परंपराओं की सुरक्षा – समुदाय अपनी भाषा और परंपराओं को बचा सकेंगे।
- आर्थिक प्रगति – कुटीर उद्योग और कृषि को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
निष्कर्ष
उत्तराखंड के लिए पांचवीं अनुसूची का लागू होना कई समस्याओं का हल हो सकता है। इससे न केवल ज़मीन और नौकरियों के अधिकार मिलेंगे, बल्कि स्थानीय लोगों का जीवन भी बेहतर होगा। 20 अक्टूबर का सम्मेलन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस मुद्दे को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
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