उत्तराखंड में सख्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर ऋषिकेश में हजारों लोगों ने महारैली की। इसमें हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया और सरकार से उत्तराखंडियों को रोजगार और संसाधनों में प्राथमिकता देने की अपील की। इस दौरान लोगों ने तिरंगा लहराकर और ढोल-दमाऊं की धुन पर विरोध जताया।
उत्तराखंड में सख्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर तीव्र विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ऋषिकेश में आयोजित “मूल निवास स्वाभिमान महारैली” में हजारों लोगों ने भाग लिया। इस रैली में महिलाओं, युवाओं, और बुजुर्गों सहित हर वर्ग के लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लोगों ने तिरंगा लहराते हुए और ढोल-दमाऊं की धुनों पर थिरकते हुए अपने गुस्से का प्रदर्शन किया।
रविवार सुबह 10:30 बजे रैली की शुरुआत आइडीपीएल मैदान से हुई। रैली ने ऋषिकेश रोड और त्रिवेणी घाट चौक होते हुए त्रिवेणी घाट तक का सफर तय किया। रैली के दौरान ‘उत्तराखंड मांगे सख्त भू-कानून’, ‘हमें चाहिए मूल निवास’, और ‘बोल पहाड़ी हल्ला बोल’ जैसे नारों की गूंज रही।
रैली का नेतृत्व संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने किया। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड के मूल निवासियों को न तो रोजगार में प्राथमिकता मिल रही है, न ही राज्य के संसाधनों तक पहुँच दी जा रही है। इसके विपरीत, हिमाचल प्रदेश में सरकार ने सख्त भू-कानून बनाए हैं ताकि बाहरी लोगों को बसने से रोका जा सके। लेकिन उत्तराखंड में ऐसी कोई ठोस नीति नहीं है, जिससे बाहरी लोग यहाँ बसने लगे हैं।
मूल निवास और सख्त भू-कानून की मांग को लेकर इस महारैली में जनसमूह ने सरकार से अपील की है कि वे उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार को 1950 को कट-ऑफ डेट मानते हुए मूल निवास कानून लागू करना चाहिए, जिससे राज्य के लोगों को रोजगार और संसाधनों में प्राथमिकता मिल सके।
यह विरोध प्रदर्शन लोगों के भीतर उभर रहे असंतोष का प्रतीक है, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने पर मजबूर हो गए हैं।
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