भारतीय शेयर बाजार में 30 सितंबर को भारी गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों को तीन लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जानिए इस गिरावट के प्रमुख कारण, जैसे विदेशी निवेशकों की बिकवाली, ग्लोबल मार्केट्स के कमजोर संकेत और मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव।
मुख्य बिंदु
Toggleभारतीय शेयर बाजार में 30 सितंबर को भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। इस गिरावट के प्रमुख कारणों में विदेशी निवेशकों की बिकवाली, एशियाई बाजारों में हलचल और मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव शामिल हैं।
बाजार में गिरावट के आंकड़े
सेंसेक्स 85208 पर खुलते ही 363 अंक गिरा, जबकि निफ्टी 117 अंक लुढ़ककर 26061 पर आ गया। बैंक निफ्टी भी 278 अंक की गिरावट के साथ 53,556 पर खुला। 12:30 बजे तक, यह गिरावट और बढ़कर सेंसेक्स में 977 अंक हो गई, जिससे निवेशकों को लगभग तीन लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सेंसेक्स में आज भारी गिरावट देखी गई, जहां यह 84,299.78 पर बंद हुआ, जो कि 1.49% या 1,272.07 अंकों की गिरावट का संकेत है। इसी प्रकार, निफ्टी भी 1.41% की गिरावट के साथ 25,810.85 पर बंद हुआ, जिसमें 368.10 अंकों की कमी दर्ज की गई। बैंकनिफ्टी में भी महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई, जो 1.59% या 856.20 अंकों की गिरावट के साथ 52,978.10 पर बंद हुआ।
किन सेक्टर्स में आई सबसे ज्यादा गिरावट?
इस गिरावट से सबसे ज्यादा नुकसान ऑटो, बैंकिंग और एनर्जी सेक्टर को हुआ है। इसके अलावा, रियल एस्टेट और कैपिटल गुड्स सेक्टर भी प्रभावित हुए। इन सेक्टर्स में मुनाफावसूली बढ़ गई, जिससे बाजार की स्थिति और खराब हो गई।
गिरावट के कारण
1. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
सबसे प्रमुख कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा भारी बिकवाली रही। FIIs ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेच दिए, जिससे बाजार पर दबाव बना। जापान और अन्य एशियाई बाजारों में भी बड़े उतार-चढ़ाव देखे गए, जिसने भारतीय बाजार को प्रभावित किया।
2. मिडिल ईस्ट का तनाव
मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से भी भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई। इजराइल और ईरान समर्थित ताकतों के बीच संघर्ष की आशंका ने बाजार में प्रॉफिट बुकिंग को तेज कर दिया। निवेशक सतर्क हो गए, जिससे बिकवाली बढ़ गई।
3. ऊंचा वैल्यूएशन
विशेषज्ञों के मुताबिक, बाजार का ऊंचा वैल्यूएशन भी इस गिरावट का एक कारण है। कई निवेशक इस समय मुनाफावसूली पर ध्यान दे रहे हैं, जो बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारक बन गया है।
4. ग्लोबल संकेत
जापान के निक्केई इंडेक्स में भारी गिरावट आई, जिससे एशियाई बाजारों में हलचल मच गई। इसके साथ ही, अमेरिका और अन्य वैश्विक बाजारों की कमजोरी ने भी भारतीय बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला।
आगे का परिदृश्य
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है। मिडिल ईस्ट के तनाव और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जैसे कारकों का बाजार पर बड़ा प्रभाव है, लेकिन कुछ समय बाद बाजार स्थिर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की इस स्थिति में संयम बरतें और कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञों से परामर्श करें।
नोट: यह सामग्री सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से है। निवेश से संबंधित निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें।
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