उत्तराखंड के इन गांवों ने जीता ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम’ का राष्ट्रीय पुरस्कार

उत्तराखंड के चार गांवों – जखोल, हर्षिल, गुंजी और सुपी – को ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम’ का पुरस्कार दिया गया है। ये गांव अपने साहसिक पर्यटन, वाइब्रेंट विलेज पहल और कृषि पर्यटन के लिए जाने जाते हैं। जानें इन गांवों की खूबसूरती और अनूठे आकर्षण के बारे में।

विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में उत्तराखंड के चार गांवों को ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और उत्तरकाशी के जखोल, हर्षिल, पिथौरागढ़ के गुंजी और नैनीताल के सुपी गांवों को उनके अनूठे पर्यटन योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया।

इन गांवों को क्यों मिला पुरस्कार?

1. जखोल (उत्तरकाशी)

जखोल गांव अपनी साहसिक पर्यटन गतिविधियों के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 7,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह गांव, हिमालय की चोटियों, हरे-भरे पेड़ों और चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग रूट्स के लिए प्रसिद्ध है। साहसिक प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थान है, जो शांतिपूर्ण वातावरण के बीच रोमांच का अनुभव चाहते हैं।

2. हर्षिल (उत्तरकाशी)

हर्षिल गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह गांव समुद्र तल से 2,620 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भगीरथी नदी के किनारे बसा है। यह जगह एडवेंचर और प्रकृति प्रेमियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

3. गुंजी (पिथौरागढ़)

गुंजी गांव सीमांत क्षेत्र में स्थित है और यह तिब्बत और नेपाल की सीमा के पास बसा हुआ है। यह गांव अपनी सांस्कृतिक धरोहर और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति के कारण विशेष मान्यता प्राप्त करता है।

4. सूपी (नैनीताल)

नैनीताल जिले का सुपी गांव कृषि पर्यटन के लिए सम्मानित किया गया है। यह गांव पारंपरिक कृषि पद्धतियों और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए पर्यटकों को ग्रामीण जीवन और खेती से जोड़ने का अनूठा अनुभव प्रदान करता है।

पर्यटन मंत्रालय की प्रतियोगिता

हर साल पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम’ प्रतियोगिता का उद्देश्य उन गांवों को सम्मानित करना है जो संस्कृति और प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण करते हुए सामुदायिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं। इस साल, उत्तराखंड के चार गांवों ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीतकर राज्य के पर्यटन विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है और यहां की छिपी हुई प्राकृतिक संपदा का अनुभव किसी स्वर्ग से कम नहीं है। राज्य सरकार द्वारा लगातार की जा रही योजनाओं और नीतियों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है, जो पर्यटकों को इस अनूठी भूमि की ओर आकर्षित करता है।

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